डिप्लोमा कोर्स

कार्यक्रम का औचित्य, उद्देश्य, विषय सामग्री, शिक्षण के तरीके, मूल्यांकन के मानदंड के दिशा निर्देश सभी सेमेस्टरों के लिए विस्तारपूर्वक वर्णित हैं। यूपीआयीडी के संकाय सदस्य विषय विशेषज्ञों और अतिथि संकाय की मदद से विशिष्ट पाठ्यक्रम तैयार करेंगे :

सेमेस्टर – 1

पाठ्यक्रम 1 : भारतीय शिल्प का परिचय

समयावधि : 4 सप्ताह
वर्ग : थ्योरी

औचित्य :

भारत की समृद्ध शिल्प धरोहर के परिचय और शिल्प क्षेत्र के मसलों और दिक्कतों की जानकारी से शिल्प डिजाइन के छात्र शिल्प क्षेत्र के नजरिए से डिजाइन को समझ सकेंगे।

उद्देश्य :

  • भारत के पारंपरिक शिल्प की समझ का विकास।
  • यह समझना कि विविध क्षेत्रीय शैलियाँ रंग, आकार, सामग्री और तकनीक के प्रयोग द्वारा किस तरह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर में योगदान करती हैं।
  • भारत के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में शिल्प क्षेत्र के योगदान को समझना।
  • उक्त बिंदुओं के आधार पर, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में शिल्प क्षेत्र की समझ विकसित करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • भारतीय शिल्प परंपराओं का लघु इतिहास
  • उत्तर प्रदेश में शिल्प क्षेत्र का इतिहास
  • शिल्प क्षेत्र, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में, आम तौर पर प्रयोग किए जाने वाली सामग्री और तकनीक का अध्ययन
  • शिल्प क्षेत्र के लिए डिजाइन की जरूरत और इस्तेमाल की जानकारी

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान, प्रस्तुतियां और विचार-विमर्श
  • स्व-अध्ययन
  • शिल्प केन्द्रों के दौरे

पाठ्यक्रम 2 : डिजाइन ड्राइंग (प्रकृति)

सप्ताह : 4
वर्ग : कौशल

औचित्य :

यह पाठ्यक्रम सूक्ष्म अवलोकन, अनुभव और वर्णन की कला के विकास में मदद करेगा।

उद्देश्य :

  • चित्रों के अवलोकन की क्षमता का पैदा करना और चित्रों की समझ का विकास करना।
  • चित्रों, विचारों और अवधारणाओं का कल्पना और इनका प्रतिनिधित्व करने की क्षमता विकसित करना
  • विचारों को विस्तृत रूप देने और इन्हें प्रकट करने के औज़ार के रूप में चित्रकारी का प्रयोग करना।
  • पेंसिल तथा चित्रकारी के अन्य उपकरणों के प्रयोग के जरिये हाथ व आँखों के समन्वय का विकास करना।
  • चित्रकारी के मूल तत्वों की समझ विकसित करना तथा उपकरणों के जरिये रेखाचित्र बनाने के हुनर सीखना ।
  • प्रकृति के ज्यामितीय आकारों के गुण समझना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • चित्रकारी के दौरान उँगलियों, कुहनियों और हाथों की उपयोग।
  • अलग-अलग ग्रेड की पेंसिलों का प्रयोग।
  • विभिन्न प्रकार की बनावटों को उकेरना।
  • खुले हाथ से आलेखन और लेआउट तैयार करना।
  • विचारों को स्केच के जरिये प्रदर्शित करना।
  • गहराई, प्रकाश और गहरे रंगों की समझ।
  • आंतरिक एवं बाह्य जगहों का अध्ययन

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन, व्याख्यान और विचार-विमर्श।
  • समूह में विचार-विमर्श।

पाठ्यक्रम 3 : डिजाइन के तत्व

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

यह पाठ्यक्रम दृश्य भाषा के मूल को समझने के लिए जरूरी है। संरचना और आकृति की समझ विकसित करने के लिए यह आधार है।

उद्देश्य :

  • छात्रों को डिजाइन के विभिन्न पहलुओं की रूपरेखा बताना।
  • डिजाइन के मूल सिद्धांतों जैसे कि ताल, संतुलन, अनुपात और तारत्म्यता आदि से छात्रों को परिचित कराना।
  • छात्रों को दृश्य भाषा के मूल समझने में सहायता करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • डिजाइन के तत्वों का परिचय।
  • नए विचार उत्पन्न करने की प्रक्रिया।
  • दृश्य तत्वों के बुनियादी तत्वों का परिचय।
  • बुनियादी आकार बनाने में बिंदियों और लाइनों की समझ।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान और प्रस्तुतियों द्वारा।
  • छोटे असाइनमेंट्स।
  • समूह विचार-विमर्श।

पाठ्यक्रम 4 : रंग और संरचना (कलर एण्ड कॉम्पोजिशन)

सप्ताह : 5
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

डिजाइन के छात्रों को रंगों की जटिलताओं और आकारों से इनके तालमेल से परिचित करना।

उद्देश्य :

  • छात्रों को रंगों की भाषा और विज्ञान से परिचित कराना।
  • संस्कृति, मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं भौगोलिक संदर्भ का ज्ञान कराना।
  • प्रभावी संचार हेतु रंगों का सही उपयोग में कुशलता को बढ़ावा देना
  • रंग एप्लीकेशन के उपकरणों से छात्रों को अवगत कराना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु:

  • रंगों की थ्योरी, प्राथमिक एवं माध्यमिक रंग।
  • रंगों का मनोविज्ञान।
  • कलर कंट्रास्ट, कलर मिक्सिंग, कलर व्हील एवं कलर स्फेयर।
  • रंग सद्भाव, रंग और स्पेस, रंग और रूप।
  • कला और शिल्प में रंग।
  • रंगों की सचेत अनुप्रयोग।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान और प्रस्तुतीकरण
  • असाइन्मेंट्स
  • समूह विचार विमर्श

पाठ्यक्रम 5 : कंप्यूटर का परिचय

सप्ताह: 2
वर्ग : कौशल

औचित्य :

कंप्यूटर एडेड डिजाइन (कैड) पाठ्यक्रम के लिए जरूरी कंप्यूटर प्रयोग के बुनियादी तत्वों से छात्रों को परिचित कराना।

उद्देश्य:

छात्रों को कम्प्यूटर के मूल अनुप्रयोगों से अवगत कराना ।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • कोरल ड्रॉ, फोटोशॉप, माक्रोमीडिया फ्लैश आदि कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कि बुनियादी जानकारी।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन।
  • व्यक्तिगत असाइनमेंट।

सेमेस्टर – 2

पाठ्यक्रम 6 : डिजाइन ड्राइंग (मानव चित्र)

सप्ताह : 4
वर्ग : कौशल

औचित्य :

यह कोर्स मानव चित्र की कल्पना और उसको उकेरने के लिए आवश्यक।

उद्देश्य :

  • मानव प्रतीकों के अवलोकन कि क्षमता का विकास और इसकी समझ को बेहतर बनाना।
  • मानव प्रतीकों की कल्पना और इसके प्रस्तुतीकरण की क्षमता का विकास।
  • परिवेश के संबंध में मानव प्रतीकों के तालमेल को समझना।
  • पहले सेमेस्टर में सीखे गए रेखांकन हुनर को और मजबूत करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • मानव शरीर के प्रकार और अनुपात।
  • अवलोकन कि शक्ति बढ़ाने के लिए मानव आकार का रेखांकन।
  • मानव गतिविधि के स्वरूप और भाव।
  • आंतरिक और बाह्य स्थलों के जटिल दृष्टिकोण अध्ययन।
  • आयामी ठोस और वस्तुएँ।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन, व्याख्यान और विचार विमर्श।
  • समूह प्रस्तुतीकरण।
  • रेखांकन।

पाठ्यक्रम 7 : फोटोग्राफी

सप्ताह : 3
वर्ग : कौशल

औचित्य :

यह कोर्स छात्रों को संचार और संग्रह के माध्यम के तौर पर फोटोग्राफी सीखने में सहायता करेगा।

उद्देश्य :

  • संचार के प्रभावशाली माध्यम के तौर पर फोटोग्राफी के हुनर विकसित करना।
  • किसी चित्र मे स्वरूप में प्रकाश, आकार और स्थान जैसे तत्वों को समझना।
  • डार्क रूम फोटो प्रोसेसिंग का काम जानना।
  • डिजिटल फोटो प्रोसेसिंग का कम जानना।
  • दस्तावेज़ बनाने में फोटोग्राफी को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • ब्लैक-व्हाइट फोटोग्राफी का परिचय।
  • ब्लैक-व्हाइट प्रोसेसिंग और प्रिंटिंग के मूलभूत तत्व।
  • रंगीन फोटोग्राफी का परिचय।
  • रंगीन प्रोसेसिंग और प्रिंटिंग के मूलभूत तत्व।
  • डिजिटल फोटो बनाने के सिद्धान्त।
  • शूटिंग, सम्पादन और चित्रों को सुधारना।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन
  • व्यक्तिगत और समूह असाइनमेंट

पाठ्यक्रम 8 : प्रबंधन के मूलभूत सिद्धान्त

सप्ताह : 2
वर्ग : थ्योरी

औचित्य :

इस कोर्स के जरिये छात्र प्रबंधन के मूलभूत सिद्धान्त और एक सफल डिजाइन उद्यम में इन सिद्धांतों की उपयोगिता सीखते हैं।

उद्देश्य :

  • बाजार और व्यवसाय प्रक्रियाओं के मूल तत्व की जानकारी।
  • शिल्प सेक्टर द्वारा अपनाई जा रही व्यवसाय परिपाटियों और बाजार की वास्तविकताओं को समझना।
  • प्रबंधन के मूल सिद्धांतों की जानकारी।
  • शिल्प सेक्टर के बाजार की तरक्की में डिजाइन की भूमिका को समझना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • प्रबंधन के सिद्धांतों का परिचय।
  • मार्केटिंग विषय का परिचय।
  • स्व-प्रबंधन के सिद्धांतों का परिचय

कार्यप्रणाली :

  • आडियो – वीडियो प्रस्तुतीकरण।
  • व्याख्यान, प्रदर्शन और बाहरी भ्रमण।
  • असाइनमेंट्स, प्रस्तुतियाँ और समूह चर्चा।
  • केस स्टडी पर चर्चा

पाठ्यक्रम 9 : कंप्यूटर एडेड डिजाइन (कैड-I)

सप्ताह : 2
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

इस कोर्स के जरिये छात्रों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिये शिल्प के नए मॉडल विकसित करने के हुनर सिखाना।

उद्देश्य :

  • छात्रों को कंप्यूटर एडेड डिजाइन (कैड) का इस्तेमाल सिखाना और इसके जरिये उत्पादों के 3 डी मॉडल बनाना सिखाना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु:

  • मॉडलिंग के सिद्धान्त।
  • 3 डी मॉडल से उत्पाद की ड्राइंग बनाना।
  • डिजाइन प्रक्रिया में ‘कैड’ का इस्तेमाल कर बुनियादी नमूने से लेकर फाइनल ड्राइंग तक बनाना।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन।
  • व्यक्तिगत असाइनमेंट।

पाठ्यक्रम 10 : विश्लेषणात्मक और सममितीय ड्राइंग (एनालिटिकल एण्ड आईसोमेट्रिक ड्राइंग)

सप्ताह : 4
वर्ग : कौशल

औचित्य :

इस कोर्स से छात्रों को निर्देशांक, लाइनों और सपाट स्थान के सिद्धांतों को समझने में मदद मिलेगी।

उद्देश्य :

  • सममितीय ड्राइंग के सिद्धान्त समझना।
  • निर्देशांक, लाइन, सपाट स्थान और आकृति के सिद्धांतों को समझना।
  • आकार और ढांचे के प्रति विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।
  • सममितीय आकारों के जरिये सुझाव और कल्पनाशीलता प्रस्तुत करने की क्षमता विकसित करना।
  • सममितीय ड्राइंग के जरिये 3 डी आकारों की परिकल्पना करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • हाथ और आँखों के समन्वय के लिए बिन्दु, लकीर और कोणों के सिद्धांतों की छानबीन के लिए मूलभूत अभ्यास।
  • सममितीय आकारों के 3डी आकृति बनाने के लिए ग्रिड और निर्देशांक के सिद्धान्त।
  • वर्तनी और लिखने के अनुपात की अवधारणाएं।
  • जटिल वक्रता का सिद्धांत।
  • ऐसे ड्राइंग जो एकल और जटिल वक्रों से मानव परिवेश को दर्शाते हैं।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन, व्याख्यान और विचार-विमर्श।
  • समूह प्रदर्शन।

पाठ्यक्रम 11 : सामग्री एवं कौशल कार्यशाला – I

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

यह कोर्स छात्रों को शिल्प उत्पाद बनाने के लिए जरूरी सामग्री, मशीन और औजारों के इस्तेमाल से अवगत करने में मदद करता है।

उद्देश्य :

  • शिल्प निर्माण में काम आने वाली विभिन्न वस्तुओं जैसे कि धातु, लकड़ी, चीनी मिट्टी, पत्थर, कपड़ा आदि से छात्रों को परिचित करना।
  • विभिन्न वस्तुओं, उनकी विशेषताओं, संभावनाओं और सीमितताओं की समझ विकसित करना।
  • मॉडल और नमूने निर्मित करने के लिए आवश्यक सामग्री और औजारों को इस्तेमाल करने के लिए बुनियादी हुनर सिखाना।
  • विभिन्न प्रकार की सामग्री के प्रयोग से मॉडल बनाने की क्षमता विकसित करना।
  • मॉडल बनाने के लिए हाथ वाले और मशीनी औज़ार चलाने का विश्वास विकसित करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • विभिन्न सामग्रियों के प्रयोग वाली सूक्ष्म अभ्यास।
  • विभिन्न प्रकार की सामग्री के जरिये सरल मॉडल का निर्माण।
  • उपकरण संचालन

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान और प्रदर्शन।
  • असाइनमेंट।
  • समूह परिचर्चा।

सेमेस्टर-3

पाठ्यक्रम 12: डिजाइन विजुअलाइजेशन (दृश्य)

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

यह कोर्स छात्रों को प्रकृति में आकार, संरचना और पैटर्न को समझने और आकार व स्थान के गुणों और छिपी संरचना का पता लगाने के लिए सक्षम बनाता है।

उद्देश्य :

  • परिवेश तथा परिवेश के संदर्भ में मनुष्यों के तालमेल को समझना।
  • पिछले सेमेस्टर में सिखाय गये रेखाचित्र के हुनर को और सुधारना और उसे प्रभावी रूप से प्रदर्शित करना।
  • स्केचिंग एवं ड्रॉइंग द्वारा परिवेश को दर्शाना एवं विचारों का संवाद करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • आयामी ठोस और पदार्थ।
  • आंतरिक और बाहरी स्थलों के एक और दो बिन्दु वाले स्वरूप।
  • मानव आकार और इसके अनुपातों का अध्ययन।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन और व्याख्यान।
  • खुले में रेखांकन।
  • प्रस्तुतीकरण।

पाठ्यक्रम 13 : कैड-II

सप्ताह : 2
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

पिछले सेमेस्टर में सिखाय गये कौशल को और सुधारना और उसे प्रभावी रूप से प्रदर्शित करना।

उद्देश्य :

‘कैड’ की सहायता से 3डी प्रारूप बनाने का जो कौशल पिछले सेमेस्टर में हासिल किया है उसे और बढ़ावा देना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • ‘कैड’ का ऊंचे स्तर का इस्तेमाल।
  • प्रतिपादन की मूल बातें ।
  • 3डी मॉडेल बनाना।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन।
  • व्यक्तिगत असाइनमेंट।

पाठ्यक्रम 14 : सामग्री और कौशल कार्यशाला – II

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

सामग्री, औज़ार और मशीनों के फुर्ती और निपुणता से इस्तेमाल में और उसमें और बारीकी लाने के लिए यह कोर्स जरूरी है।

उद्देश्य :

  • सामग्रियों और औजारों को इस्तेमाल करने की जो दक्षता पिछले सेमेस्टर में हासिल की गई है उसको और आगे बढ़ाना।
  • विभिन्न प्रकार की सामग्री के प्रयोग से मॉडल बनाने को क्षमता विकसित करना।
  • विभिन्न औजारों और मशीनों से मॉडल बनाने का आत्मविश्वास विकसित करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • विभिन्न सामग्रियों के प्रयोग से सूक्ष्म अभ्यास करना।
  • विभिन्न सामग्रियों का इस्तेमाल करके जटिल मॉडल बनाना।
  • औजारों का इस्तेमाल।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान एवं प्रदर्शन।
  • 2डी और 3डी मॉडल बनाने का असाइनमेंट।
  • समूह चर्चा

पाठ्यक्रम 15 : क्राफ्ट प्रलेखन

सप्ताह : 9
वर्ग : रिसर्च

औचित्य :

छात्रों को शिल्प सेक्टर का प्रत्यक्ष अनुभव कराना, इस सेक्टर की मजबूती और कमजोरी तथा इस संदर्भ में डिजाइन की भूमिका की समझ विकसित कराने के लिए यह कोर्स जरूरी है।

उद्देश्य :

  • उत्तर प्रदेश की समृद्ध शिल्प धरोहर को समझना।
  • शिल्प गतिविधियों के पूरे परिदृश्य और शिल्प उद्योग को बनाए रखने और आगे बढ़ाने में डिजाइन की भूमिका को समझना।
  • शिल्प के पारंपरिक तौर-तरीकों को समझना और ये देखना कि किस तरह इनका इस्तेमाल आधुनिक अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।
  • उत्तर प्रदेश में शिल्प और शिल्प समुदायों के बारे में आंकड़े जमा करना और इन समुदायों के साथ व्यवहार बनाए रखना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • किसी विशिष्ट शिल्प और शिल्प समुदाय का गहन अध्ययन और इनका पूरा ब्योरा रिकार्ड करना। ये देखना कि डिजाइन के क्या पारंपरिक तरीके हैं, किस तरह से शिल्प का विकास हुआ है, क्या सामग्री इस्तेमाल की जा रही है, बाजार से इस शिल्प के क्या ताल्लुक हैं, शिल्प समुदाय के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहलू इत्यादि।
  • चित्र और लिखित तरीके से आंकड़े एकत्र करना।
  • शिल्प समुदाय के साथ नजदीकी व्यवहार बनाए रखना।
  • व्यक्तिगत अनुभवों की प्रस्तुति।

कार्यप्रणाली :

  • बाहरी दौरे।
  • व्याख्यान और प्रस्तुतीकरण।
  • समूह चर्चा।

सेमेस्टर – 4

पाठ्यक्रम 16 : डिजाइन कार्यशाला I- हल्की (सॉफ्ट )सामग्री

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टुडियो

औचित्य :

डिजाइन वर्कशॉप से छात्रों को हल्की और नरम सामग्रियों के संग काम करने और डिजाइन की जानकारी को विभिन्न प्रयोग करने तथा प्रतिरूप विकसित करने का मौका मिलता है।

उद्देश्य :

  • कपड़ा, कागज, फाइबर वगैरह का डिजाइन और शिल्प निर्माण में इस्तेमाल को समझना।
  • हल्की और नरम सामग्रियों के इस्तेमाल में नई प्रवित्तियों से छात्रों का परिचय कराना।
  • हल्की सामग्रियों के प्रयोग करने में डिजाइन कि जानकारी का इस्तेमाल।
  • नरम सामग्रियों के इस्तेमाल से नए प्रतिरूप तैयार करना।
  • शिल्पकारों के संग काम करना और उन्हें नए डिजाइन उपलब्ध कराना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • कार्यरत शिल्पकारों और डिजाइन छात्रों के लिए संयुक्त कार्य, ये कार्य इन क्षेत्रों में दिये जाएंगे:
  • हल्की और नरम सामग्रियों की खोज।
  • नए आइडिया विकसित करना।
  • आइडिया को मूर्त रूप में बदलना।

कार्यप्रणाली :

  • हल्की और नरम सामग्री के इस्तेमाल में डिजाइन के नए प्रचलन पर व्याख्यान और प्रदर्शन।
  • विशेषज्ञ संकाय की देखरेख में डिजाइन प्रोजेक्ट और असाइनमेंट।
  • चर्चा और प्रतिक्रिया।

पाठ्यक्रम 17 : डिजाइन कार्यशाला II – लकड़ी

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

डिजाइन वर्कशॉप से छात्रों को लकड़ी के संग एक धातु के रूप में काम करने का मौका मिलता है तथा अपनी कुशलता को डिजाइनिंग में उतारना तथा उसका विकासपूर्ण प्रयोग करना।

उद्देश्य :

  • शिल्प के उत्पादन और डिजाइन के लिए लकड़ी के इस्तेमाल की समझ को विकसित करना।
  • छात्रों को मौजूदा माहोल में लकड़ी को एक धातु के रूप में प्रयोग सिखाना।
  • लकड़ी को धातु के रूप में प्रयोग करने के लिए डिजाइनिंग जानकारी का इस्तेमाल करना।
  • अवधारणा विकसित करना और उसे लकड़ी का इस्तेमाल कर प्रोटोटाइप में बदलना।
  • कार्यरत कारीगरों के संग काम करना और उनको डिजाइन की नई जानकारी देना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • कार्यरत कारीगरों के संग डिजाइन छात्र इन क्षेत्रों में काम करेंगे :
    • लकड़ी को धातु की तरह समझना।
    • नई अवधारणाएँ विकसित करना।
  • अवधारणा को प्रारूप या नमूने में बदलना।

कार्यप्रणाली :

  • धातुओं के इस्तेमाल में उभर रहे डिजाइन के नए प्रचलन पर व्याख्यान तथा प्रदर्शन।
  • विशेषज्ञ संकाय के पर्यवेक्षण में डिजाइन के प्रोजेक्ट और असाइनमेंट।
  • चर्चा और प्रतिक्रिया।

पाठ्यक्रम 18 : डिजाइन कार्यशाला III – धातु

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

डिजाइन वर्कशॉप से छात्रों को धातु के संग काम करने और डिजाइन की जानकारी का इस्तेमाल कर नए नए प्रयोग करने और प्रतिरूप बनाने का मौका मिलता है।

उद्देश्य :

  • शिल्प के उत्पादन और डिजाइन में धातु के इस्तेमाल की समझ विकसित करना।
  • शिल्प में धातु के इस्तेमाल के नए प्रचलन से छात्रों का परिचय कराना।
  • धातु के प्रयोग करने में डिजाइन की जानकारी इस्तेमाल करना।
  • अवधारणा विकसित करना और धातु के इस्तेमाल से नमूने बनाना।
  • कार्यरत कारीगरों के संग काम करना और उनको डिजाइन की नई जानकारी देना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • कार्यरत कारीगरों के संग डिजाइन छात्र इन क्षेत्रों में काम करेंगे :
  • धातु को समझना।
  • नई अवधारणाएँ विकसित करना।
  • अवधारणा को प्रारूप या नमूने में बदलना।

कार्यप्रणाली:

  • धातु के इस्तेमाल में उभर रहे डिजाइन के नए प्रचलन पर व्याख्यान तथा प्रदर्शन।
  • विशेषज्ञ संकाय के पर्यवेक्षण में डिजाइन के प्रोजेक्ट और असाइनमेंट।
  • चर्चा और प्रतिक्रिया।

पाठ्यक्रम 19 : डिजाइन कार्यशाला IV – चीनी मिट्टी / कांच/ टेराकोटा

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

डिजाइन कार्यशाला छात्रों को चीनी मिट्टी/कांच/टेराकोटा के साथ काम करने का मौका देता है एवं अपनी डिजाइनिंग कुशलता का उपयोग कर नए प्रयोग करने का भी मौका देता है।

उद्देश्य :

  • छात्रों को चीनी मिट्टी/कांच/टेराकोटा का डिजाइन एवं शिल्प में सही उपयोग सिखाना।
  • छात्रों को धातु जैसे- चीनी मिट्टी, कांच एवं टेराकोटा के आधुनिक इस्तेमाल से अवगत कराना।
  • चीनी मिट्टी एवं कांच को एक धातु के रूप में प्रयोग करने के लिए डिजाइनिंग जानकारी का इस्तेमाल करना।
  • अवधारणाओं को विकसित करना तथा उन्हें चीनी मिट्टी, कांच एवं टेराकोटा के इस्तेमाल से नमूने बनाना।
  • कार्यत कारीगरों के साथ काम करना तथा उन्हें डिजाइन के नवीन विचारों से अवगत कराना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

कार्यत कारीगरों एवं डिजाइन छात्रों के साथ निम्न क्षेत्रों में काम करना:

  • चीनी मिट्टी, कांच एवं टेराकोटा को एक धातु के रूप में समझना।
  • नई अवधारणाओं को विकसित करना।
  • अवधारणाओं को प्रारूप या नमूने में बदलना।

कार्यप्रणाली :

  • चीनी मिट्टी, कांच एवं टेराकोटा के आधुनिक डिजाइन के इस्तेमाल पर व्याख्यान तथा प्रदर्शन।
  • संकाय विशेषज्ञ के नेतृत्व में डिजाइन प्रोजेक्ट तथा असाइन्मेंट।
  • चर्चा एवं प्रतिक्रिया।

पाठ्यक्रम 20 : उद्यमिता का परिचय

सप्ताह : 3
वर्ग – थ्योरी

औचित्य :

डिजाइन उद्यमिता के लिए शिल्प उत्पाद कैसे और आकर्षक बनाया जा सकता है इसकी जानकारी हासिल करने के लिए छात्रों के लिए ये कोर्स जरूरी है।

उद्देश्य :

  • छात्रों में शिल्प डिजाइन में उद्यमिता की रुचि बढ़ाना।
  • छात्रों के भीतर ग्रमीण स्तर पर डिजाइन में उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • शिल्प कार्यों के लिए छात्रों में प्रबंधन योग्यताओं को बढ़ाना जिससे भविष्य में वे प्रबंधन के मामलों में सही निर्णय ले सकें।
  • उद्यमिता की थ्योरी एवं प्रेक्टिकल के ज्ञान का वर्धन करना।
  • छात्रों के भीतर डिजाइन के प्रति उद्यमिता एवं पेशेवर सोच का विकास करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • उद्यमिता और उद्यम की संकल्पना।
  • शिल्प क्षेत्र में उद्यमिता की महत्वता।
  • शिल्पकारों के भीतर उद्यमिता के मौजूदा स्थिति का अध्ययन एवं अवलोकन।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान, चर्चा, आडियो-विजुयल
  • सफल एवं कामयाब शिल्प उद्य्मियों से मुलाकात।
  • असाइंमेंट।
  • बाह्य दौरा।

सेमेस्टर-5

पाठ्यक्रम 21: अलंकरण तकनीक

सप्ताह : 4
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

इस चीज को जानने के लिए कि अलंकरण तकनीक द्वारा किस तरह उत्पादों को और भी ज्यादा आकर्षक बनाया जा सकता है, यह कोर्स जरूरी है।

उद्देश्य :

  • विभिन्न धातुओं पर सतही ज़ेब की तकनीक से छात्रों को अवगत कराना।
  • अलंकरण द्वारा शिल्प उत्पादों के ज़ेब तकनीक से छात्रों को अवगत कराना।
  • शिल्प उत्पादों के कार्यों का अध्ययन करना एवं अलंकरण के कार्य क्षेत्र से अवगत कराना।
  • अलंकरण हेतु विभिन्न धातुओं को इस्तेमाल का परीक्षण करना।
  • विभिन्न शिल्प उत्पादों (धातु आधारित, पत्थर आधारित, लकड़ी आधारित, चीनी मिट्टी या कांच आधारित एवं वस्त्र आधारित शिल्प) के लिए अलंकरण तकनीक को सीखना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • विभिन्न धातुओं का इस्तेमाल कर, विभिन्न सतहों पर अलंकरण का प्रेक्टिकल अनुभव करना।
  • धातु, लकड़ी या पत्थर पर गढ़ाई, नक्काशी, छिद्र एवं कढ़ाई का काम।
  • वस्त्र आधारित उत्पादों पर मोती, सजावटी इंडरलॉकिंग, आकर्षक पुष्प या विषयगत रूपांकनों और ज्यामितीय पैटर्न से अलंकरण करना।

कार्यप्रणाली :

  • प्रदर्शन, प्रस्तुति।
  • प्रेक्टिकल असाइंमेन्ट।
  • सामूहिक चर्चा।

पाठ्यक्रम 22: बाजार एवं उपभोक्ता अनुसंधान

सप्ताह: 4
वर्ग : रिसर्च

औचित्य :

डिजाइन उद्यमियों के लिए बाजार एवं उपभोक्ता अनुसंधान का ज्ञान जरूरी है।

उद्देश्य :

  • व्यापारिक योजना एवं रणनीतिक दृष्टिकोण से बाजार एवं उपभोक्ता अनुसंधान की परिकल्पना से छात्रों को रू-बा-रू कराना।
  • छात्रों को बाजार के ढांचे, वित्तीय प्रवृत्तियों, तकनीकि विकास, उपभोक्ता की जरूरतें एवं अन्य ऐसे तथ्य जो ऐसे माहौल के लिए आवश्यक है, उनसे अवगत कराना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • बाजार एवं उपभोक्ता अनुसंधान की थ्योरी।
  • उपभोक्ता निर्णय प्रक्रिया को समझना।
  • परीक्षण परिकल्पना एवं मांग आकलन।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान, चर्चा, ऑडियो-विजुअल।
  • सफल एवं कामयाब शिल्प उद्यमियों से मुलाकात।
  • असाइनमेंट।

पाठ्यक्रम 23: पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग

सप्ताह: 3
वर्ग : स्टूडिओ

औचित्य :

पैकेजिंग और ब्रांडिंग किस तरह शिल्प उत्पादों के सफल व्यापार के लिए जरूरी हैं, इस चीज की जानकारी लेना।

उद्देश्य :

  • जरूर व्यापार साधन के रूप में पैकेजिंग और ब्रांडिंग कि अवधारणा से छात्रों को परिचित कराना।
  • किसी उत्पाद को आकर्षक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करने के लिए आकर्षक पैकेजिंग करने की कला से छात्रों को परिचित कराना।
  • पैकेजिंग में रंग, आकार और दिखावट जैसे विभिन्न पहलुओं से छात्रों को शिक्षित करना।
  • संभावित ग्राहकों को सही संदेश देने के लिए सही माध्यम कैसे चुना जाए इस बारे में छात्रों को शिक्षित करना।
  • पैकेजिंग कितनी प्रभावी रही है इसको कैसे पता किया जाए इस बारे में छात्रों को प्रशिक्षित करना, उदाहरण के तौर पर- इस बात को चेक करना कि कितने लोग विज्ञापन एवं उसके संदेश को याद रखते हैं।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • पैकेजिंग और ब्रांडिंग के सिद्धान्त।
  • विज्ञापन और विपणन कि रणनीति।
  • डिजाइन की पैकेजिंग।
  • शिल्प उत्पादों के लिए पैकेजिंग।
  • रणनीति का मूल्यांकन।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान, प्रदर्शन।
  • सामूहिक चर्चा।
  • व्यक्तिगत तथा सामूहिक असाइनमेंट।

पाठ्यक्रम 24: डिजाइन प्रोजेक्ट – I

सप्ताह: 8
वैकल्पिक 1: निजी उपकरण वैकल्पिक
2: घरेलू उपकरण श्रेणी:प्रोजेक्ट

औचित्य :

छात्र के कौशल को लागू करने की क्षमता के परीक्षण करने का प्रोजेक्ट।

उद्देश्य :

  • उपभोक्ता की मांग को समझकर अपने ज्ञान का इस्तेमाल करना एवं किन्ही दो क्षेत्रों में एक साधारण उत्पाद बनाना।
  • उपभोक्ता की जरूरत को समझने के लिए शिल्प क्षेत्र में मार्केट रिसर्च डेटा में कुशलता को विकसित करना।
  • शिल्प क्षेत्र में अनुकूल कल्पनाशील अवधारणाओं को विकसित करना ताकि कार्य कुशलता का विकास हो सके।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • उपभोक्ता की जरूरतों, विभिन्न मौजूदा अनुकूल विकल्पों, धातु एवं प्रक्रियाओं, उत्पादन के लागत एवं बाजार मॉडल के अनुरूप डेटा को संग्रहित कर उसका विश्लेषण करना।
  • बाजार में मौजूदा विकल्पों का अध्ययन।
  • समस्याओं का समाधान।
  • अवधारणाओं के विकल्पों को विकसित करना एवं कार्य एवं प्रारूप के दृष्टिकोण से अवधारणाओं को मान्यता।
  • विकसित वैकल्पिक अवधारणाओं का मूल्यांकन।
  • प्रारूप का निर्माण एवं धातु, प्रक्रियाओं एवं कार्यों पर तकनीकि चित्र एवं सहायक दस्तावेजों के साथ किसी एक अवधारणा पर निर्णय लेना।

कार्यप्रणाली:

  • डेटा का संग्रहण एवं विश्लेषण।
  • व्याख्यान एवं सामूहिक चर्चा।
  • प्रलेखन।
  • निरंतर प्रतिक्रियाएं।

सेमेस्टर- 6

पाठ्यक्रम 25: विजुअल मर्चंडाइजिंग

सप्ताह : 6
वर्ग : स्टूडियो

औचित्य :

बाजार रणनीतिक में विजुअल डिस्पले की भूमिका को समझने के लिए छात्रों के लिए यह कोर्स जरूरी है।

उद्देश्य :

  • शिल्प क्षेत्र में विजुअल मर्चंडाइजिंग की महत्वता से छात्रों को रूबरू कराना, अर्थात उपभोक्ताओं को शिल्प मर्चांडाइज प्रस्तुत करने की कला।
  • यह सीखना कि शिल्प डिजाइन एवं मार्केटिंग के बीच किस तरह संपर्क बनाया जाए।
  • प्रभावी एवं रचनात्मक तरीके से शिल्प उत्पादों के बारे में उपभोक्ताओं को समझाने कि कला को सिखाना।
  • 3डी परिवेश में शिल्प मर्चंडाइज को पेश करने की कला एवं स्थिरता को बनाए रखना की कला छात्रों को सिखाना।
  • शिल्प उत्पादों के सम्मिलित डिजाइन पहलुओं के लिए प्रशिक्षित करना एवं शिल्प व्यापार के पहलुओं पर काम करना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • विजुअल मर्चंडाइजिंग की अवधारणा।
  • विजुअल मर्चंडाइजिंग से संबंधित हुनर एवं उपकरणों का मूलभूत कार्य।
  • शिल्प उत्पादों का मेलों/प्रदर्शनियों या रिटेल आउटलेट में प्रदर्शित करना।

कार्यप्रणाली :

  • व्याख्यान/प्रस्तुतियां
  • सामूहिक चर्चा, व्यक्तिगत एवं सामूहिक असाइंमेंट

Course 026 : डिजाइन प्रोजेक्ट II:

सप्ताह : 12

किसी विशिष्ट शिल्प समूह के लिए शिल्प उत्पादों बनाना।

वर्ग : प्रोजेक्ट

औचित्य :

किसी छात्र का इस अंतिम पाठ्यक्रम में प्रदर्शन उसके शिल्प डिजाइन के छात्र होने की प्रमाणिकता को सिद्ध करता है।

उद्देश्य :

  • शिल्प औद्योगिक के साथ किसी असल डिजाइन प्रोजेक्ट पर काम करना एवं संस्थान में सिखाए गए हुनर को अपनी आने वाली जिंदगी में उतारना एवं उसका सफल इस्तेमाल करना।
  • शिल्प क्षेत्र में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए बतौर डिजाइन के अभ्यासियों की तरह दर्शाना।
  • शिल्प समूहों में असल जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर उससे ज्ञान वर्धन करना एवं शिल्प उद्योग में डिजाइन की भूमिका को समझना।

पाठ्यक्रम विषयवस्तु :

  • उत्तर प्रदेश राज्य में किसी भी चयनित शिल्प उद्योग या समूह के साथ काम।
  • असल जिंदगी की चुनौतियों पर विश्लेषण एवं शिल्प उद्योग एवं समूह में आने वाली चुनौतियां।
  • उपरी बिंदुओं के आधार पर शिल्प क्षेत्र में अनुकूल उत्पादों की डिजाइन एवं विकास।
  • उत्पादों के उत्पादन के लिए शिल्प व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना।
  • पैकेजिंग, मर्चंडाइजिंग एवं मार्केटिंग रणनीतियों में अनुकूल योगदान देना, जिससे डिजाइनिंग के विचारों को वाणिज्यिक व्यवहार्यता प्राप्त हो सके।
  • डेटा संग्रहित एवं विश्लेषण से लेकर उत्पाद के वाणिज्यिक व्यवहार्यता के परीक्षण तक की प्रक्रिया का प्रलेखन।

कार्यप्रणाली :

  • शिल्प उद्योग में व्यक्तिगत असाइंमेंट।
  • शिल्प व्यक्तियों द्वारा धातुओं, प्रक्रियाओं एवं शिल्प की वाणिज्यिक व्यवहार्यता में योगदान।
  • शिल्प को बढ़ावा देने के लिए शिल्प संवर्धन परिषदों एवं ऐसे अन्य संस्थानों द्वारा किया गया योगदान।
  • विशेषज्ञ फैकल्टी द्वारा रोजाना चर्चा एवं उसपर प्रतिक्रिया।
  • शिल्प क्षेत्र में डिजाइन संबंधित समाधानों को प्रस्तुतियां।