यू.पी.आई.डी की सिफारिशों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन की स्थापना एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की जो भारतीय सोसाइटी एक्ट , 1860 के तहत पंजीकृत है। यह संस्थान शिल्प डिजाइन शिक्षा में विभिन्न प्रमाण पत्र / डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने के उद्देश से स्थापित किया गया है।
मार्च 1992 में, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (यू.पी.आई.डी), अहमदाबाद ने एक विस्तृत रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्तुत की जिसमें उत्तर प्रदेश में एक डिज़ाइन इंस्टीट्यूट के स्थापना की बात प्रस्तावित की गई। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक ऐसा इंस्टीट्यूट स्थापित करने की जरुरत है जो राज्य के अनोखे शिल्प उद्योग की ताकत को प्रदर्शित कर पाए तथा छात्रों के लिए ऐसे नवीन शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करे जो राज्य के शिल्प समुदायों के विकास का सही ढंग से नेतृत्व कर सके। रिपोर्ट में एक ऐसा संस्थान परिकल्पित था जो शिल्पकारों और कारीगरों के प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभाए तथा शिल्प और कुटीर उद्योग के क्षेत्र में काम कर रहे शिल्पकारों को डिज़ाइन और तकनीकी सहायता प्रदान कर पाए। यह रिपोर्ट यह सलाह देती है कि उत्तर प्रदेश में शिल्प कला की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय प्रतिभाओं का प्रोत्साहन तथा इस्तेमाल जरुरी है। यू.पी.आई.डी ने एक ऐसे शैक्षिक संस्थान की सलाह दी जो राज्य में डिज़ाइन के विकास एवं शिल्प के पुन: जीवित कार्य में उत्प्रेरक बन सके। यह सलाह एन. आई. डी के स्वयं के अनुभवों के आधार पर उत्पन्न हुई थी जो इसे शैक्षिक और आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से शिल्प समूहों के साथ काम करते हुए एवं बदलते सामाजिक आर्थिक मानदंड के बीच उत्तर प्रदेश के शिल्प क्षेत्र की वास्तविकताओं को महसूस करने से प्राप्त हुई थी।
माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश
माननीय मंत्री माननीय कैबिनेट मंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, खादी और ग्रामीण उद्योग, रेशम उत्पादन उद्योग, हथकरघा और कपड़ा
माननीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश डिज़ाइन एवं शोध संस्थान
मुख्य सचिवउत्तर प्रदेश
अपर मुख्य सचिव एमoएसoएमoईo विभाग, उत्तर प्रदेश
निदेशक यूoपीoआईoडीoआरo, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के विविधतापूर्ण शिल्प के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की डिज़ाइन की अत्यधिक मांग रहती है। शिल्प के व्यापक विकास के लिए यू पी आई डी द्वारा इस क्षेत्र में कई स्वरूपों में हितधारकों के साथ तालमेल बनाना आवश्यक होगा।
किसी भी नए उत्पाद की नई रेंज विकसित करने में कई बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाता है और इनमें बाजार की मांग के पहलुओं को समझना तथा किसी डिजाइन का प्रासंगिक उपयोग आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
हस्तशिल्प उद्योग की प्रकृति मूलतः उद्यमशील है। अपने उत्थान के समय में हस्तशिल्प समुदाय और शिल्पकारों की उद्यमशीलता कौशल के कारण इसमें बहुत विस्तार हुआ था। .
इच्छुक संगठन जो इस में हिस्सा लेना चाहते हैं, वे परियोजना निदेशक को प्रस्ताव भेज सकते हैं।
अंतिम दिनांक : 26/05/2023
अंतिम दिनांक : 23/05/2023
अंतिम दिनांक : 23/03/2023
अंतिम दिनांक : 03/03/2023
अंतिम दिनांक : 21/11/2022
अंतिम दिनांक : 12/09/2022
अंतिम दिनांक : 31/05/2021
भारतीय उपभोक्ताओं और उनकी परिधान प्राथमिकताएं धीरे-धीरे बदल रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप परिधान व्यवसाय का आकार को बदल रहा है।