इनक्यूबेटर

आधुनिक तकनीकों के अत्यधिक उपयोग से संचार के तरीकों तथा गति में काफी बदलाव आया है, जिसके कारण सभी प्रकार के कारोबार ज्ञान पर आधारित होने के लिए नवपरिवर्तित हो रहे हैं। इससे पहले शिल्प में तकनीकी जानकारी तथा गतिशील बाजार के मुद्दे थें, परन्तु अब शिल्प को जटिलता और जानकारी की बहुतायत के साथ भी जूझना पड़ता है। पिछले कुछ दशकों से नई वैश्विक दुनिया में परंपरागत कारीगरों के बीच में अपने पेशे को बनाए रखना एक चिंता का विषय बन गया है। उनके पास अच्छा शिल्प कौशल तो होता है जो उन्हें परंपरागत रूप से प्राप्त होता है लेकिन उन्हें समकालीन व्यापार में आगे बढ़ना नहीं आता है।

वहीं दूसरी ओर आज के समय में कई रचनात्मक पेशेवर रोजगार के परंपरागत रूपों को अपनाना नहीं चाहते हैं। वह अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने की ख्वाहिश रखते हैं। उनमें प्रौद्योगिकी, डिजाइन और प्रबंधन की अच्छी समझ के साथ-साथ, रचनात्मक विचार एवं संचार कौशल भी होता है। इसलिए वह उत्पाद विकास और विश्वसनीय गुणवत्ता के उत्पादन के लिए मजबूत संसाधनों के लिए एक गठजोड़ की खोज में रहते हैं। इस सन्दर्भ में, इनक्यूबेटर उनके विचार का समर्थन कर सकता है जिसके चारों ओर एक रचनात्मक व्यापार का निर्माण किया जा सकता है।

कारीगरों और प्रतिभाशाली रचनात्मक उद्यमियों को एक साथ एक सांझे मंच पर एकत्रित होने के लिए तथा एक नए उद्यम को स्थापित करने के लिए यह एक अद्भुत अवसर प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य समृद्ध अनुभव युक्त युवा पेशेवर तथा कौशल कारीगरों की रचनात्मक ऊर्जा, जोखिम लेने की क्षमता, समकालीन तकनीकी कौशल का पर्याप्त रूप से उपयोग करना होगा। इनक्यूबेटर युवाओं के विचारों को बढ़ावा देगा, जिसके चलते एक रचनात्मक व्यवसाय बन सकेगा।

यह शिल्प कारीगरों और बेहतरीन रचनात्मक उद्यमियों को एक साथ मंच पर लाने का बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जिससे वे एक दूसरे के साथ जुड़कर एक नया व्यवसाय शुरु कर सकते हैं। इसका मुख्य लक्ष्य युवा पेशेवरों और कुशल शिल्प कलाकारों की रचनात्मक ऊर्जा, जोखिम लेने की क्षमता, समकालीन तकनीकि कौशल का पर्याप्त रूप से उपयोग करना होगा। यह यू.पी.आई.डी. के प्रस्तावित शैक्षिक सोच के बिल्कुल अनुकूल होगा। कैंपस में इनक्यूबेटर की उपस्थिति शिल्प कारीगरों और उद्योग में एक सकरात्मक संदेश का संचार करेगा।

एक इनक्यूबेटर जगह और तंत्र के संदर्भ में यू.पी.आई.डी. के उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करेगा जिससे संस्थान में ज्यादा लागत नहीं लगेगी। इसके बजाय, यह राजस्व उत्पन्न करेगा और लम्बे समय के लिए आत्म स्थायी हो जाएगा। सह उद्योगों, पूंजी, वित्तीय संस्थानों, सरकारी विभागों या गैर सरकारी संगठनों से नए उद्यमों के लिए वित्तीय व्यवस्था एवं अन्य मदद प्राप्त की जा सकती है। इनक्यूबेटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के लिए आवेदन कर सकता है। वित्तीय सहायता सामान्य रूप से 1 करोड़ से 5 करोड़ के बीच की होगी।

इनक्यूबेटर युवा पेशेवरों तथा शिल्प कारीगरों का एक समूह बना कर प्रस्ताव विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इनक्यूबेटर समर्थन के लिए समूहों का चयन एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। यू.पी.आई.डी. में इनक्यूबेटर के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न संस्थानों, जैसे एन.आई.डी., आई.आई.एम., आई.आई.टी., निफ्ट, ई.डी.आई. आदि में व्यापार योजना प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है । आवेदनों को ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से भी आमंत्रित किया जाएगा। इसकी प्रमुख शर्त यह होगी कि व्यापार उत्तर प्रदेश के शिल्प पर आधारित होना चाहिए तथा उसकी राज्य के शिल्पकार/ शिल्पकारों के साथ सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। प्रविष्टियों का चयन यू.पी.आई.डी. समूह का पैनल एवं बाहरी विशेषज्ञ मिलकर करेंगे।

हमारा यह उद्देश्य है कि हम पहले साल में कम से कम पांच नवीन संगठनों का चयन करें फिर अगले पांच सालों में यह संख्या बढ़कर 20 संगठनों में तब्दील हो जाए। इनक्यूबेटर अधिकतम तीन साल के लिए सहयोग करेगी। इसकी नियम और शर्तों को इनक्यूबेटर की सलाहकार मंडल प्रस्तावित करेगी तथा इसे मंजूरी यू.पी.आई.डी. की शासन परिषद देगी।

राज्य में विकासशील उद्योग को पोषित करने हेतु अन्य इनक्यूबेटर और संस्थाओं का समर्थन और सहभागिता को भी प्राथमिकता दी जाएगी।